लेखनी प्रतियोगिता -28-Nov-2022
कुछ कहना था
कुछ कहना था
गुजरी कैसे हैं ये एक लम्हे की शाम
आ तुझे बता दूं, कुछ कहें बिना कुछ
आज मैं तुम्हें कह जाऊं।
कुछ कहना था
सुनने का पल जानती हूं बीत चुका है
पर कुछ कहने की शाम की तलाश अब भी
हमें पुकार रही है।
कुछ कहना था
आ आज बतलाए दर्द की वो शाम
जहां हमसे पहले चांद की रोशनी खो गई थी
वक्त के गुजरने से पहले तुम गुम हो गए थे।
राखी सरोज
Abhinav ji
29-Nov-2022 08:07 AM
Very nice👍👍
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RAKHI Saroj
30-Nov-2022 12:47 AM
Thank you
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Khan
28-Nov-2022 08:58 PM
Bahut hi sundar 👌🌸
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RAKHI Saroj
30-Nov-2022 12:47 AM
Thank you
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Gunjan Kamal
28-Nov-2022 06:48 PM
शानदार प्रस्तुति 👌🙏🏻
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RAKHI Saroj
30-Nov-2022 12:47 AM
Thank you
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